श्वास की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Respiratory Disorders)
आयुर्वेद के अनुसार शरीर के अंदर जब आपके फेफड़े किसी भी बीमारी से प्रभावित होने लगें तो आपको श्वास से संबंधित बीमारी हो सकती है श्वास की बीमारी के मुख्य कारण फेफड़ों और लीवर में सूजन का होना होता है जिसकी वजह से थोड़ा सा दौड़ लेने पर भी आपका श्वास फूलने लग जाता हैं। शरीर के अंदर संक्रमण, एलर्जी और अंदरूनी सूजन की वजह से भी श्वास की बीमारियाँ हो सकती है। इसके अलावा धूम्रपान करना और शराब के सेवन करने की वजह से भी श्वास की बीमारियाँ हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर आपके सीने में कोई सूजन या फिर चोट लग गयी है तो भी आपको श्वास लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर शरीर के अंदर ऑक्सीजन की कमी है या फिर व्यक्ति हृदय रोगों से ग्रसित है तो भी उसको श्वास की बीमारी हो सकती है श्वास फूलने की वजह से आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे श्वास लेने और छोड़ने में पीड़ा अनुभव करना, सीने में दर्द, बेचैनी होना और सीने में जकड़न महसूस करना आदि। अगर आप कभी भी अस्थमा या साँस की बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको उसी समय फ़ास्ट फ़ूड ,तला हुआ भोजन और चिकनाई से युक्त पदार्थ जो शरीर के अंदर एसिड की मात्रा को बढ़ाने वाले होते हैं उनको छोड़ देना चाहिए। आज के समाज में श्वास की बीमारियाँ सामान्य सी हो गयी हैं। आज इस लेख में हम जानेगें कि श्वास की बीमारी को आयुर्वेद के अनुसार कैसे करें दूर।
आइये जानते हैं श्वास की समस्या को आयुर्वेदिक तरिके से कैसे करे दूर
1. मधु का सेवन लाभकारी
आयुर्वेद की चिकित्सा के अनुसार मधु का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही श्वांस से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। अस्थमा के रोगियों के लिए तो यह रामबाण औषधि है। एक शोध के अनुसार अगर किसी को साँस लेने में परेशानी होती है तो उसको १ चम्मच मधु को १ गिलास गुनगुने पानी के अंदर मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से श्वास लेने में आने वाली समस्या दूर हो जाती है। इसके अलावा अगर किसी भी व्यक्ति को अस्थमा का दौरा पड़ जाता है तो उसको तुरंत मधु की भांप लेने से फायदा पहुँचता है। आयुर्वेद के अनुसार मधु का नियमित सेवन फेफड़ों के अंदर जमी बलगम को निकालने के साथ-साथ आपको श्वांस से संबंधित रोगों से सुरक्षित रखता है।
2. तुलसी एक फायदेमंद औषधि
तुलसी का पौधा औषधीय गुणों का भंडार माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को साँस की बीमारी है या फिर उसको साँस लेने में परेशानी होती है तो उसको तुलसी का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए यह उसके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसके लिए आपको १ चम्मच तुलसी रस के अंदर १ चम्मच मधु का मिश्रण करके रोजाना इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करना है यह आपकी अस्थमा की बीमारी को दूर करने के साथ-साथ साँस लेने में आने वाली परेशानी को भी दूर करने में सहायक होता है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार यह प्रयोग बहुत जल्दी श्वास की नलियों को साफ कर देता है जिसकी वजह से आपको श्वास लेने और छोड़ने में परेशानी नहीं होती।
3. कॉफी का उपयोग उत्तम उपाय
आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति को अस्थमा की समस्या है तो उसको कॉफी का नियमित सेवन करना लाभदायक साबित होता है। यह आपके शरीर के अंदर रक्त के संचार को संतुलित कर श्वास नलियों को साफ करने में मददगार साबित होती है। अस्थमा अटैक आने पर अगर रोगी को एकदम से कॉफी का सेवन कराया जाए तो उसके लिए फायदेमंद हो सकता है।
4. अदरक एक उपयोगी औषधि
प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार अदरक का इस्तेमाल हजारों वर्षों से शरीर को स्वस्थ रखने और अनेक बिमारियों की रोकथाम के लिए होता रहा है। अदरक के अंदर अनेक पोषक तत्व और खनिज पदार्थ पाए जाते हैं जो आपके शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ आपको श्वास रोगों से बचाये रखने में सहायक होते हैं। अगर अस्थमा और साँस की बिमारियों से ग्रसित व्यक्ति नियमित रूप से अदरक के आधा गिलास काढ़े का सेवन सुबह खली पेट करता है तो यह प्रयोग उसको अनेक बिमारियों से सुरक्षित रखने के अलावा कभी भी उसको श्वास की बीमारी से पीड़ित नहीं होने देता।
संदर्भ – धन्वंतरि निघण्टु ,(सुवर्णदिवर्ग),श्लोक -८४|
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि अदरक वात और कफ दोष को संतुलित रखने वाला ,सूजन को कम करने वाला ,कब्ज को दूर करने वाला , गले के रोगों और सर्दी को दूर करने वाला, कड़वा, गरम, भूख बढ़ाने वाला, कामशक्ति को बढ़ाने वाला और हृदय रोगों में अच्छी औषधि माना गया है।
5. लहसुन का सेवन लाभदायक
आयुर्वेद पद्धति के अनुसार लहसुन का सुबह खाली पेट सेवन शरीर में सैंकड़ों बिमारियों को खत्म करने वाला साबित होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार लहसुन को अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। लहसुन के अंदर एंटीवायरल,एंटीबैक्टीरियल ,एंटीएलर्जिक ,एंटीआक्सीडेंट ,एंटीकैंसर जैसे महत्वपूर्ण गुणों की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो आपके शरीर को बिमारियों से मुक्त रखने में सहायक साबित होती है। अगर आप साँस की बीमारी से पीड़ित है या फिर आप अस्थमा के रोगी हैं तो आपको सुबह खाली पेट ३ से ४ लहसुन की कलियों को खाना लाभकारी साबित हो सकता है। यह फेफड़ों से संबंधित परेशानियों को बहुत जल्दी दूर करने में सहायक होता है।
संदर्भ – भावप्रकाश निघण्टु ,(हरितक्यादिवर्ग ),श्लोक -२२१-२२२ ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि लहसुन धातुवर्धक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, उष्णवीर्य, पाचक तथा सारस होता है, और वह रस और पाक में कटु तथा मधुररसयुक्त, तीक्ष्ण, टूटी हड्डियों को जोड़ने वाला, कंठ के लिए लाभकारी, गुरु, पित्त एवं रक्तवर्धक, शरीर में बल तथा व्रण को उत्पन करने वाला, मेधाशक्ति तथा नेत्रों के लिए लाभकारी रसायन होता है।
6. गरम वातावरण लाभकारी
अगर आप अस्थमा रोगी या फिर श्वास की बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको गरम वातावरण में रहना लाभदायक साबित हो सकता है। इसके साथ-साथ आपको गरम पानी के साथ स्नान करना फायदेमंद होता है। साँस के रोगी को कभी भी धूल भरी जगह और भीड़भाड़ में नहीं जाना चाहिए यह उसके लिए हानिकारक हो सकता है।
