Therapeutic Uses of Jatamansi (जटामांसी के आयुर्वेदिक उपचार)
जटामांसी को आयुर्वेद में बालछड़ भी कहा गया है ।यह प्राकृतिक पौधा हिमालय की ऊँची चोटियों पर पाया जाता है क्योंकि इसको विकसित होने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है भारत के अलावा यह पौधा भूटान और चाइना की ऊँची पहाड़ियों पर पाया जाता है। इस पौधे की लम्बाई ५ से २५ इंच तक हो सकती है और फूल सफेद और गुलाबी रंग के गुच्छों के रूप में उत्पन्न होते हैं और इसके फल सफेद रंग वाले सूक्ष्म आकार के होते हैं ।इस औषधीय पौधे का इस्तेमाल आज से ५००० हजार वर्षों से अनेक बीमारियों को दूर करने के लिए होता आ रहा है ।इसकी तासीर ठंडी होती है जो शरीर में वात पित्त और कफ को शांत रखने वाला ,त्वचा रोगों में लाभकारी ,मूत्राशय को स्वस्थ रखने में सहायक ,नेत्र रोगों में फायदेमंद ,पेट की समस्याओं को खत्म करने वाला ,रक्त संचार को दुरुस्त रखने वाला,आंतों को स्वस्थ रखने वाला और हृदय रोगों में लाभकारी साबित होता है । इस लेख में हम जटामांसी के आयुर्वेदिक फायदों के बारे में जानेगें ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि जटामांसी तिक्त और कषाय रस से युक्त ,स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाला ,त्वचा को प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करने वाला ,बलवर्धक ,स्वादिष्ट ,और वीर्य शीतल होता है,वात पित्त और कफ दोषों को संतुलित रखने वाला ,रक्तप्रकोप,दाह ,विसर्प एवं कुष्ठ रोगों को दूर करने वाला होता है ।
संदर्भ – भावप्रकाश निघण्टु ,(कपूरादिवर्ग),श्लोक -८९ ।
आइये जटामांसी के लाभदायक आयुर्वेदिक फायदे जानते हैं
1. बालों को रखे स्वस्थ
आपके बालों का स्वस्थ, घना और लम्बा होना आपकी सुंदरता को बढ़ा देता है।युवा उम्र में ही बालों का झड़ना एक बहुत बड़ी परेशानी है आज के समाज में यह समस्या आम हो गयी है परन्तु इस पर कोई ध्यान नहीं देता और ये बालों के झड़ने की समस्या धीरे-धीरे गंजेपन में बदल जाती है ।अपने बालों को घना करने के लिए और झड़ने की समस्या से बचने के लिए आपको अपने बालों पर खास ध्यान देना होगा । अगर आप चाहते हैं कि आपके बाल मजबूत और स्वस्थ बने रहें तो जटामांसी के पौधे की छाल का काढ़ा सुबह बालों में लगाने से और उसके १ घण्टा बाद नहाने से बालों का झड़ना बंद हो जाएगा और आपके बाल घने और मजबूत बने रहेगें ।इस प्रयोग का रोजाना इस्तेमाल आपके बालों को समय से पहले झड़ने से बचाए रखने के साथ साथ उनको काला करने में भी सहायक साबित होता है ।
2. नपुंसकता में फायदेमंद
पुरुषों में यह समस्या उनके हार्मोन्स के कम हो जाने के कारण होती है । ऐसे बहुत लोग होते हैं जो देखने में आकर्षित दिखेगें परन्तु वह नपुंसकता की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं ।अगर आप इस गंभीर समस्या से ग्रसित हैं तो नियमित रूप से जटामांसी के चूर्ण का सेवन यौन शक्ति को बढ़ाने में सहायक साबित होता है ।इसके इस्तेमाल के लिए आपको जटामांसी की जड़ का चूर्ण तैयार करके उसके अंदर जायफल और लौंग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्रण कर लेना चाहिए और सुबह और शाम हल्के गरम देसी गाय के दूध के साथ एक चम्मच नियमित रूप से इस मिश्रण का सेवन करना चाहिए। आपकी नपुंसकता की समस्या को दूर कर यौन शक्ति को बढ़ाने में यह कारगर साबित होता है ।इस प्रयोग का नियमित रूप से सेवन आपको ज़िंदगी में कभी भी यौन संबंधित परेशानियां नहीं आने देता।
3. सिरदर्द में फायदेमंद
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और बहुत ज्यादा दफ्तर के कार्य की वजह से आपका शरीर थकान और तनाव महसूस करता है और यही थकान और तनाव सिदर्द का कारण बनते हैं इन सभी समस्याओं को अपने से दूर रखने के लिए जटामांसी का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है ।आयुर्वेद में विस्तारपूर्वक कहा गया है कि अगर आपको सिरदर्द होता है तो जटामांसी कि जड़ ,सोंठ और तगर को देसी गाय के घी में बराबर मात्रा में पीसकर माथे पर इस मिश्रण लगाने से आपको सिर की वेदना में बहुत आराम मिलेगा ।
4. नींद लाने में सहायक
आज कल फ़ास्ट फ़ूड का नियमित सेवन करना लोगों के शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रहा है वो सोच भी नही सकते जंक फूड जैसा हानिकारक खाना सीधे पेट ,गुर्दों आदि को प्रभावित करता है जिससे अनिद्रा जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।रात की पूरी नींद आपको सारा दिन ऊर्जा देगी जिससे आप हर काम को चुस्ती के साथ करेंगे और आपको सारा दिन किसी भी प्रकार की समस्या परेशान नहीं करेगी ।आपकी स्मरण शक्ति भी तेज हो जाती है।इसके लिए जटामांसी की जड़ का चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद साबित होता है यह प्रयोग आपके लिए अच्छी नींद लाने के साथ साथ मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने में भी सहायक साबित होता है ।
5. शरीर की कम्पन को दूर करने में लाभकारी
एक शोध के अनुसार अगर आपको शरीर के किसी भी भाग में कम्पन होती है या फिर आपके हाथ ,पैर कांपते हैं तो जटामांसी का काढ़ा सेवन करना फायदेमंद साबित होता है इसके इस्तेमाल के लिए आपको जटामांसी की जड़ का काढ़ा तैयार करके नियमित रूप से सुबह और शाम सेवन करने से आपकी कम्पन की समस्या जल्दी दूर हो जाती है ।यह प्रयोग आपके शरीर की कम्पन की समस्या को दूर करने के साथ साथ शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी सहायक साबित होता है ।
6. पेट की समस्याओं में असरदार
आज का मनुष्य हेल्थी फ़ूड को छोड़ कर फ़ास्ट फ़ूड को दिनचर्या में सेवन करने लगा है जो उसकी पाचन क्रिया के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है। इस भोजन के हानिकारक बैक्टीरया आपके शरीर में पेट दर्द ,गैस ,कब्ज,अल्सर,त्वचा रोग ,हृदय रोग और बवासीर जैसी हानिकारक बीमारियां उत्पन्न कर देते हैं इन सभी समस्याओं से बचने और अपने पेट को बिमारियों से मुक्त रखने के लिए जटामांसी की जड़ का चूर्ण रोजाना सेवन करना फायदेमंद होता है ।इसके उपयोग के लिए आपको जटामांसी की जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंठ और सौंफ का मिश्रण करके इस चूर्ण को सुबह और शाम को सेवन करने से पेट बीमारियों से सुरक्षित रखता है ।
7. स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक
आयुर्वेद के ग्रंथों में जटामांसी को स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली रामबाण जड़ी बूटी माना गया है।अगर आप नियमित रूप से जटामांसी की जड़ के चूर्ण को देसी गाय के दूध में मिलाकर सेवन करते हैं तो यह प्रयोग आपकी दिमागी ताकत को बहुत तेजी से बढ़ाने में असरदार साबित होता है । इसका रोजाना सेवन आपकी भूलने की बीमारी में बहुत लाभदायक होता है ।
(प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला) में इन सभी बीमारियों को दूर करने के लिए 100% प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मिश्रण से जटामांसी चूर्ण तैयार किया गया है। यह चूर्ण जाँच एवं प्रयोग करके बनाया गया है जो किसी भी हानिकारक रसायन, संरक्षक, स्टार्च, योजक, रंग, खमीर, भराव आदि से रहित होता है इसका नियमित सेवन आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है ।
Dr. Vikram Chauhan
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