Treatment of Hypothyroidism Through Natural Herbs (प्राकृर्तिक औषधियों से हाइपोथायरायडिज्म का उपचार)

हाइपोथायरायडिज्म क्या है

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार थायराइड गर्दन के सामने एक छोटे से आकार की ग्रंथि होती है जो शरीर को ऊर्जा का सही तरीकेसे उपयोग करने और क्रिया करने में मदद करने के लिए आवश्यक तत्वों का संचार करती है ।शरीर की यह ग्रंथि हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को ऊर्जा प्रदान करने के लिए मददगार साबित होती है, यह शरीर के अंदर हृदय की धड़कन और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक मानी गयी है। आयुर्वेद के अनुसार अगर शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होती है, तो शारीरिक क्रिया थायराइड स्थिति को धीमा और संकुचित कर देती हैं जिसकी वजह से सारा शरीर प्रभावित होता है ।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म थायराइड ग्रंथि का बहुत बड़ा विकार होता है जिसकी वजह से थायराइड ग्रंथि शरीर के अंदर उपयुक्त मात्रा में हार्मोन्स नहीं उत्पन कर पाती है जिसके कारण शरीर हाइपोथायरायडिज्म की बीमारी से ग्रसित हो जाता है ।इस लेख में हम इस बीमारी को दूर करने के प्राकृतिक उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें ।

थायरायड

आयुर्वेद के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म के मुख्य कारण

  • इस बीमारी का जन्मजात होना
  • शरीर के अंदर आयोडीन की कमी
  • गर्भावस्था के दौरान
  • वजन बढ़ जाने के कारण
  • कब्ज हो जाने के कारण
  • थायराइड की सर्जरी
  • अत्यधिक थकान की वजह से

हाइपोथायरायडिज्म बीमारी के मुख्य लक्ष्ण

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार इस बीमारी में निम्न लिखितसंकेत आपको दिखाई दे सकते हैं –

  • सर्दी लग जाने के कारण ।
  • बालों का सूखा और मोटा हो जाना ।
  • मांसपेशियों में ऐंठन ।
  • बाल झड़ना
  • त्वचा का रूखापन ।
  • वजन बढ़ना।
  • कमजोरी और थकान होने की वजह से ।

हाइपोथायरायडिज्म बीमारी का उपचार सही समय पर जरूरी

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर इस बीमारी का समय रहते उपचार न किया जाए तो आगे चलकर अनेक बिमारियों का कारण बन सकती है जैसे-

  • हृदय की बीमारियां
  • पेट की बीमारयां
  • मस्तिष्क का विकार
  • बांझपन की समस्या

हाइपोथायरायडिज्म की मुख्य जानकारी

1. आज के समाज में हाइपोथायरायडिज्म काफी सामान्य सी बीमारी हो गयी है।
2. यह बीमारी मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ देखी जाती है।
3. आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म होने की संभावना अधिक होती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म की बीमारी

आयुर्वेद के अनुसार, थायरॉयड ग्रंथि का कार्य और थायरॉयड हार्मोन द्वारा की जाने वाली पाचन संबंधी प्रक्रियाएं शरीर के अंदर पित्त (अग्नि) दोष द्वारा नियंत्रित होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हाइपोथायरायडिज्म में शरीर के अंदर पित्त दोष और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप थायरॉयड हार्मोन्स कम हो जाते हैं और यह बीमारी बहुत ज्यादा प्रभावित करने लगती है।

हाइपोथायरायडिज्म बीमारी के प्रति आयुर्वेद का दृष्टिकोण

इस बीमारी का इलाज प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से किया जाता है ताकि इसके लक्षणों को सही तरीके से जाना जा सके। हाइपोथायरायडिज्म के आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य मुख्य रूप से शरीर के अंदर पित्त दोष और कफ दोष को संतुलित रखना होता है । इस बीमारी के उपचार में स्वस्थ आहार, जीवन शैली, नियमित व्यायाम और प्राकृतिक उपचार जैसे कारक भी बहुत ज्यादा सहायक होते हैं जैसे –

1. आयुर्वेद के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति का आहार

इन खाद्य पदार्थों से रहें बचके

1. फल और स्टार्च वाले पौधे – कसावा, शकरकंद, आड़ू, स्ट्रॉबेरी आदि।
2. कुछ सब्जियां – ब्रोकोली, गोभी, फूलगोभी, पालक आदि।
3. नट और बीज – मूंगफली, बाजरा, पाइन नट आदि ।
4. लस युक्त आहार – ब्रेड, पास्ता, अनाज, बीयर आदि।
5. पेय पदार्थ – कॉफी, ग्रीन टी और शराब आदि ।

इन खाद्य पदार्थों का करें सेवन

1. अंडे – साबुत अंडा बहुत उपयोगी साबित होता है ।
2. फल और स्टार्च वाले पौधे – जामुन, केले, संतरे, टमाटर आदि का सेवन लाभकारी ।
3. लस मुक्त आहार – चावल, एक प्रकार का अनाज, चिया बीज और अलसी आदि का सेवन ।
4. डेयरी उत्पाद – दूध, पनीर, दही का उपयोग फायदेमंद ।
5. पेय पदार्थ – पानी और अन्य गैर-कैफीन युक्त पेय पदार्थ मददगार ।

2. (प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला) में हाइपोथायरायडिज्म का आयुर्वेदिक उपचार

प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला में हाइपोथायरायडिज्म केयर पैक के रूप में सबसे अच्छा प्राकृतिक औषधियों से तैयार उत्पाद बनाया गया है। ये सभी औषधियाँ शुद्ध, प्राकृतिक, शाकाहारी, और रासायनिक और परिरक्षक मुक्त हैं। ये किसी भी दुष्प्रभाव से मुक्त हैं और इन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इन उत्पादों को प्राचीन जड़ी बूटियों के मानकीकृत अर्क का उपयोग करके तैयार किया जाता है और आयुर्वेद के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करके एमडी आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सीधी देखरेख में तैयार किया जाता है। हाइपोथायरायड केयर पैक में शामिल जड़ी बूटियां –

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1. गुग्गुलिपिड कैप्सूल

गुग्गुलिपिड कैप्सूल गुग्गुल (कोमीफोरा मुकुल) के शुद्ध अर्क का उपयोग करके बनाया जाता है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेद में किया जाता रहा है। गुग्गुल थायरॉयड ग्रंथि को मजबूत करने में सहायक साबित है यह दर्द, सूजन को कम करता है, वसा की अत्यधिक मात्रा को कम करता है, थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को संतुलित करता है और हाइपोथायरायडिज्म की बीमारी को दूर करने में मददगार माना जाता है। यह वजन को संतुलित रखने में सहायक होता है।
खुराक – भोजन के बाद सादे पानी के साथ 2 कैप्सूल रोजाना सुबह और शाम ।

2. गोटुकोला कैप्सूल

ये कैप्सूल गोटुकोला प्लांट (सेंटेला एशियाटिक) की पत्तियों के अर्क से तैयार किए जाते हैं। गोटुकोला शरीर के अंदर रक्त को स्वच्छ और संतुलित रखने में मददगार साबित होता है और तनाव, चिंता, थकान, त्वचा का सूखापन, कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक माना जाता है।
खुराक – भोजन के बाद सादे पानी के साथ 2 कैप्सूल रोजाना सुबह और शाम ।

3. चंद्रप्रभा वटी

यह प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला का श्रेष्ठ उत्पाद है और 37 विशेष जड़ी बूटियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है, जिसमें से शिलाजीत (डामरटुलम) और गुग्गुल (कोमिफोरा मकुल) दो मुख्य तत्व हैं। यह उत्पाद थायरॉयड ग्रंथि में सूजन और दर्द को कम करके थायराइड के कार्य को दुरुस्त बनाए रखने में सहायक माना जाता है, यह वजन को संतुलित बनाये रखता है यह थायराइड हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है और हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के लिए लाभकारी औषधि साबित होता है।
खुराक – 2 गोलियाँ भोजन के बाद सादे पानी के साथ दो बार सुबह और शाम ।

4. हकम चूर्ण

हक्मा चूर्ण शरीर के अंदर त्रिदोषों को संतुलित रखने वाला होता है और इसमें 4 प्रभावी जड़ी बूटियाँ शामिल की गयी हैं जो हैं – कलौंजी (निगेला सतीवा), चंदशूर (लेपिडियम सतिवुम), मेथी (मेथी), अजवाईन (ट्रेकिस्पर्मम अम्मी) आदि। यह चूर्ण थायरॉयड ग्रंथि को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करता हैं, शरीर को ऊर्जा प्रदान करता हैं, वजन घटाने में मदद करता हैं, शरीर में कफ दोष को संतुलित करता है, रक्त संचार को संतुलित करने के साथ -साथ पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखता है ।यह एक प्राकृतिक औषधि के रूप में काम करता है ।
खुराक – 1 चम्मच भोजन के बाद सादे पानी के साथ दो बार सुबह और शाम ।

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Dr. Vikram Chauhan (MD-Ayurvedic Medicine) is an expert Ayurveda consultant in Chandigarh (India). He has vast experience of herbs and their applied uses. He has successfully treated numerous patients suffering from various ailments, throughout the world. He is CEO and Founder of Krishna Herbal Company and Planet Ayurveda in Chandigarh, India. He researched age old formulas from ancient Ayurvedic text books to restore health and save human beings from the worst side-effects of chemical-based treatments.