Treatment of Psoriasis with Ayurveda (सोरायसिस के उपाय आयुर्वेद के द्वारा)

सोरायसिस एक त्वचा रोग है जिसका प्रभाव आपके सिर,कान,हाथ ,पैर,कमर या त्वचा के किसी भी हिस्से पर हो सकता है इस रोग में त्वचा के ऊपर खुजली सी हो जाती है और त्वचा लाल पड़ जाती है । त्वचा रोग को चर्म रोग भी कहा जाता है इसके होने का कारण अनुवांशिक भी हो सकता है ।अगर पहली पीढ़ी में किसी को ये बीमारी थी तो आगे भी किसी न किसी को यह चर्म रोग हो सकता है ।अगर आप पेशाब या मल को रोकने की कोशिश करते हैं तो ये भी एक कारण आपकी त्वचा में चर्म रोग उत्त्पन्न कर सकता है।लोगों की खराब दिनचर्या और हानिकारक मसालों से युक्त तले हुए खाने की वजह से भी ये रोग हो जाता है जैसे की अत्यधिक जंक फ़ूड का सेवन ,मसालों से युक्त खाना ,शराब और नशीले पदार्थों का बहुत ज्यादा उपयोग आपके चर्म रोग का कारण बन सकता है ।आयुर्वेद के अनुसार जब कफ और वात दोष संतुलित नहीं रह पाते तभी त्वचा में हानिकारक पदार्थों का संक्रमण होता है और चर्म रोगों को बढ़ावा मिलता है ।

Ayurvedic Treatment For Psoriasis

वातादयस्त्रयो दुष्टास्त्वग्रक्तं मांसमम्बु च । दूषयन्ति स कुष्ठानां सप्तको द्रव्यसङ्ग्रहः ॥ ९ ॥

संदर्भ – चरक संहिता ( चिकित्सास्थान ,कुष्ठ चिकित्सा )चैप्टर -७,श्लोक -९ ।

व्याख्या – यह श्लोक आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के चिकित्सा स्थान के कुष्ठ चिकित्सा से लिया गया है । इस श्लोक में वात ,पित्त और कफ से दूषित शरीर के लक्षण बताए गए हैं ।इस श्लोक में कहा गया है कि वात ,पित्त और कफ अगर असंतुलित हो जाए तो वह त्वचा ,रक्त ,नेत्र और मासपेशियों को प्रभावित करते हैं ।हमारी त्वचा की समस्या में ये ७ कारक बहुत ज्यादा जिम्मेदार हैं ।

आयुर्वेद के द्वारा कैसे करें इन सभी समस्याओं का समाधान आइये जानते हैं

1. अखरोट है बहुत फायदेमंद

त्वचा के रोगियों को अपने खाने से लेकर पीने के पानी तक का अच्छे से ध्यान रखना रखना चाहिए।चर्म रोग में आपको पानी के अंदर अखरोट डालकर उबलने देना चाहिए और उसके उबलने के बाद पानी को थोड़ा सा ठंडा करके शरीर के जिस भाग पर आपको चर्म रोग की समस्या है वहाँ पर लगाने से आपको अच्छा फायदा मिलता है।इसके अलावा आप त्वचा की समस्या को एकदम ताजे केले का छिलका उतार कर चर्म रोग की समस्या वाले भाग पर लगाने से बहुत अच्छा नतीजा मिलता है।इन उपायों का आपकी त्वचा पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है ।

2. तनाव से रहे दूर

आयुर्वेद के अनुसार बहुत ज्यादा तनाव और मानसिक चिंतन भी चर्म रोगों को बढ़ावा दे सकता है ।इसलिए अपने आप को तनाव की स्थिति से दूर रखें ।एक अध्ययन के अनुसार अकेले तनाव से शरीर में बहुत सारी बीमारियां घर कर जाती हैं और शरीर को अंदर ही अंदर खोखला करती हैं । आयुर्वेद कहता है कि तनाव की स्थिति में मनुष्य मानसिक बीमारियों के साथ साथ त्वचा रोगों से भी ग्रसित हो सकता है।इसलिए तनाव से हमेशा दूर रहें और अपने आप को खुश रखने की कोशिश करें ।

3. पौष्टिक भोजन का करें सेवन

जितना ज्यादा हो सके अपने भोजन में हरी सब्जियां ,ताजे फल और सलाद का सेवन जरूर करें ।ये भोजन बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जिससे आपके शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है और आपका शरीर चर्म रोग जैसी समस्याओं से बचा रहता है । हरी सब्ज़ियाँ और सलाद के अंदर पाए जाने वाले विटामिन और पोषक तत्व हमारे स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखते हैं ।

4. तिल का उपयोग बहुत असरदार

तिल के अंदर इतनी ज्यादा ताकत होती है कि वह पत्थर के अंदर से भी रीस जाता है ।तिल को बहुत ही उपयोगी माना गया है । त्वचा रोग में तिल बहुत लाभकारी है ।अगर आपको चर्म रोग की समस्या है तो इसके लिए तिल के तेल या नारियल के तेल से मालिश करनी चाहिए यह प्रयोग चर्म रोग में काफी असरदार साबित हुआ है ।

5. खीरा भी है फायदेमंद

खीरे के अंदर बहुत से गुण होते हैं इसके अंदर ९४ % पानी की मात्रा होती है । खीरे का सेवन हमारे शरीर में हुई पानी की कमी को पूरा करता है और गर्मी से राहत दिलाता है ।त्वचा रोगों के लिए भी खीरा बहुत लाभकारी है । चर्म रोग के मरीज को इसके उपयोग के लिए खीरे का रस निकाल लेना चाहिए और उसके अंदर खीरे की मात्रा जितना नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर जो घोल तैयार होता है उसको चर्म रोग वाले भाग पर लगाने से समस्या जल्दी ठीक हो जाती है। यह उपयोग काफी फायदेमंद साबित होता है ।

चर्म रोगों की समस्या को दूर करने के लिए ( प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला ) में बहुत अच्छी जड़ी बूटियों से दवाईआं तैयार की गयी हैं जो सोरायसिस की समस्या में बहुत लाभकारी है ।आइये जानते हैं क्या है वह औषधि और क्या है उसके गुण

अनुक्रमांक उत्पाद मात्रा
1 चमचमाती त्वचा, बाल, नाखून का फॉर्मूला २ बोतलें (120 कैप्सूल्स)
2 मंजिष्ठा कैप्सूल्स २ बोतलें (120 कैप्सूल्स)
3 नीम कैप्सूल्स 1 बोतल (60 कैप्सूल्स)
4 नवकार्षिक चूर्ण 1 पैक (200 ग्राम)
5 पित्ता बैलेंस कैप्सूल्स 1 बोतल (60 कैप्सूल)
6 जत्यादि तैलम २ पैक (200 ML)
7 चमकदार त्वचा, बाल, नाखून लोशन 2 बोतलें (100 ML)
8 गंधक रसायन 1 बोतल (120 कैप्सूल)

इन औषधियों के गुणों के बारे में भी यहाँ बताया गया है आइये जानते हैं

1. ग्लिमिंग स्किन, हेयर, नेल्स फॉर्मूला

यह औषधि प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला में तैयार की गयी है, जिसके अंदर मंजिष्ठा , पित्तपापड़ा ,चिरायता और घृतकुमारी जैसी महत्वपूर्ण औषधियों का मिश्रण किया गया है जो आपके चर्म रोग के लिए बहुत लाभदायक है।

सेवन करने की विधि : २ कैप्सूल दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें ।

2. मंजिष्ठा कैप्सूल्स

यह कैप्सूल् मंजिष्ठा नामक जड़ी बूटी से तैयार किया जाता है जो आपके कफ और वात को संतुलित रखती है और आपकी त्वचा को रोगों से मुक्त रखती है ।यह औषधि चर्म रोग में बहुत ज्यादा असरदार साबित हुई है।

सेवन करने की विधि : २ कैप्सूल दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें ।

3. नीम कैप्सूल्स

संस्कृत में नीम के लिए एक कहावत है (सर्व रोग निवारिणी )इसको सभी रोगों का निवारण करने वाला बताया गया है। इसका सेवन हमे रोगों से लड़ने की क्षमता देता है। यह बहुत ही लाभकारी औषधि है । इस कैप्सूल को प्लेनेट आयुर्वेदा की वैद्यशाला में अच्छे से जाँच कर बनाया जाता है ।त्वचा रोग के लिए नीम को सबसे उपयोगी औषधि माना गया है ।

सेवन करने की विधि : १ कैप्सूल दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें ।

4. नवकार्षिक चूर्ण

यह चूर्ण वैद्यशाला में बनाया जाता है इसके अंदर आंवला,हरीतकी , बहेड़ा ,वचा ,नीम ,मंजिष्ठा ,कुटकी ,गिलोय और दारुहरिद्रा जैसी लाभदायक और गुणकारी औषधियों का मिश्रण किया जाता है ।इसका सेवन चर्म रोग में बहुत फायदेमंद है ।

सेवन करने के विधि : १ चम्मच दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें ।

5. पित्ता बैलेंस कैप्सूल्स

पित्त दोष को संतुलित करने के लिए यह औषधि प्लेनेट आयुर्वेदा में तैयार की गई है जो चर्म रोग में महत्वपूर्ण मानी गई है इसके अंदर पित्त को शांत रखने वाली जड़ी बूटियों का मिश्रण डाला गया है जैसे कि प्रवाल पिष्टी , अकिक पिष्टी , जाहर मोहरा पिष्टी ,कामदुधा रस , मुक्ता पिष्टी एवं गिलोय सत्व ।

सेवन करने के विधि : १ कैप्सूल दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें ।

6. जत्यादि तैलम

प्लैनेट आयुर्वेदा का जत्यादि तैलम प्सोरियासिस के उपचार में सहायक है। यह त्वचा को हाइड्रेटेड और पोषित रखने के लिए अद्भुत रूप से काम करता है। यह तैलम त्वचा की सूजन और जलन को कम करता है और त्वचा को नमी प्रदान करता है। यह त्वचा को मुलायम बनाता है और प्सोरियासिस के कारण होने वाली चिढ़चिढ़ी त्वचा की समस्या को नियंत्रित करता है।

उपयोग करने की विधि: तेल को साफ त्वचा पर हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में लगाएं और उसे पूरी तरह अवशोषित होने दें।

7. रेडियंट स्किन, हेयर, नेल्स लोशन

प्लैनेट आयुर्वेदा का रेडियंट स्किन, हेयर, नेल्स लोशन प्सोरियासिस के कारण होने वाली त्वचा की सूजन और जलन को कम करता है। यह त्वचा को नमी प्रदान करता है और उसे पोषण देता है। लोशन में मौजूद प्राकृतिक तत्व त्वचा के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं, जिससे त्वचा में सुधार आता है और प्सोरियासिस के कारण होने वाली समस्याओं में राहत मिलती है।

उपयोग करने की विधि : लोशन को साफ त्वचा पर हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में लगाएं और उसे पूरी तरह अवशोषित होने दें।

8. गंधक रसायन

प्लैनेट आयुर्वेदा का गंधक रसायन प्सोरियासिस के उपचार में उपयोगी है। यह त्वचा की सूजन और पपड़ी को कम करने के लिए विशेष रूप से काम करता है। इसके अलावा, यह ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है। यह त्वचा को ठंडक और आराम प्रदान करता है, जिससे जलन और सूजन में कमी आती है। यह प्राकृतिक रूप से त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।

सेवन करने की विधि : 2 टैबलेट्स दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें।

The following two tabs change content below.
Dr. Vikram Chauhan (MD-Ayurvedic Medicine) is an expert Ayurveda consultant in Chandigarh (India). He has vast experience of herbs and their applied uses. He has successfully treated numerous patients suffering from various ailments, throughout the world. He is CEO and Founder of Krishna Herbal Company and Planet Ayurveda in Chandigarh, India. He researched age old formulas from ancient Ayurvedic text books to restore health and save human beings from the worst side-effects of chemical-based treatments.